श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 188: भीष्मके अन्त्येष्टि-संस्कारकी सामग्री लेकर युधिष्ठिर आदिका उनके पास जाना और भीष्मका श्रीकृष्ण आदिसे देहत्यागकी अनुमति लेते हुए धृतराष्ट्र और युधिष्ठिरको कर्तव्यका उपदेश देना  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  13.188.33 
यथा पाण्डो: सुता राजंस्तथैव तव धर्मत:।
तान् पालय स्थितो धर्मे गुरुशुश्रूषणे रतान्॥ ३३॥
 
 
अनुवाद
जैसे ये पाण्डव राजा पाण्डु के पुत्र हैं, वैसे ही धर्म की दृष्टि से ये आपके भी पुत्र हैं। ये सदैव अपने बड़ों की सेवा में लगे रहते हैं। आप धर्म में दृढ़ रहकर अपने पुत्रों के समान इनका पालन करें॥ 33॥
 
Just as these Pandavas are the sons of King Pandu, so are they yours too from the viewpoint of Dharma. They are always engaged in the service of their elders. You, being steadfast in Dharma, should take care of them like your own sons.॥ 33॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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