श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 188: भीष्मके अन्त्येष्टि-संस्कारकी सामग्री लेकर युधिष्ठिर आदिका उनके पास जाना और भीष्मका श्रीकृष्ण आदिसे देहत्यागकी अनुमति लेते हुए धृतराष्ट्र और युधिष्ठिरको कर्तव्यका उपदेश देना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  13.188.26 
दिष्टॺा प्राप्तोऽसि कौन्तेय सहामात्यो युधिष्ठिर।
परिवृत्तो हि भगवान‍् सहस्रांशुर्दिवाकर:॥ २६॥
 
 
अनुवाद
कुन्तीनन्दन युधिष्ठिर! यह सौभाग्य की बात है कि आप अपने मन्त्रियों सहित यहाँ पधारे हैं। सहस्र किरणों से सुशोभित सूर्यदेव अब दक्षिणायन से उत्तरायण में आ गए हैं॥ 26॥
 
Kuntinandan Yudhishthira! It is a matter of good fortune that you have come here along with your ministers. The Sun, adorned with a thousand rays, has now returned from the Dakshinayan to the Uttarayan.॥ 26॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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