श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 188: भीष्मके अन्त्येष्टि-संस्कारकी सामग्री लेकर युधिष्ठिर आदिका उनके पास जाना और भीष्मका श्रीकृष्ण आदिसे देहत्यागकी अनुमति लेते हुए धृतराष्ट्र और युधिष्ठिरको कर्तव्यका उपदेश देना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  13.188.25 
ततश्च तं बली भीष्म: प्रगृह्य विपुलं भुजम्।
उद्यन्मेघस्वरो वाग्मी काले वचनमब्रवीत् ॥ २५॥
 
 
अनुवाद
तब वक्तृत्व-कुशल बलवान भीष्म ने युधिष्ठिर की विशाल भुजा अपने हाथों में ले ली और मेघ के समान गम्भीर वाणी में ये समयानुकूल वचन बोले -॥ 25॥
 
Then the powerful Bhishma, skilled in oratory, took Yudhishthira's huge arm in his hands and in a voice as deep as a cloud spoke the following timely words -॥ 25॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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