श्री महाभारत » पर्व 13: अनुशासन पर्व » अध्याय 181: श्रीकृष्णद्वारा भगवान् शङ्करके माहात्म्यका वर्णन » श्लोक 32 |
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| | श्लोक 13.181.32  | तं चैवाङ्कगतं दृष्ट्वा बालं पञ्चशिखं पुन:।
उमा जिज्ञासमाना वै कोऽयमित्यब्रवीत् तदा॥ ३२॥ | | | अनुवाद | फिर वह पाँच जटाओं वाले बालक के रूप में प्रकट हुआ। देवी उमादेवी ने उसे गोद में लेकर देवताओं से पूछा, 'पहचानो, यह कौन है?'॥32॥ | | Then he appeared in the form of a boy with five tufts of hair. Goddess Umadevi took him in her lap and asked the gods, 'Recognize who is this?'॥ 32॥ |
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