श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 181: श्रीकृष्णद्वारा भगवान‍् शङ्करके माहात्म्यका वर्णन  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  13.181.19 
पूषणं चाभिदुद्राव पादेन च रुषान्वित:।
पुरोडाशं भक्षयतो दशनान् वै व्यशातयत्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
तब क्रोध में भरकर उसने पैदल ही भगवान पूषा का पीछा किया और पुरोडाश खाते हुए उनके दांत तोड़ दिए।
 
Then, filled with rage, he pursued the god Pusha on foot and broke his teeth which were eating Purodash.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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