श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 181: श्रीकृष्णद्वारा भगवान‍् शङ्करके माहात्म्यका वर्णन  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  13.181.16 
अन्धेन तमसा लोका: प्रावृता न चकाशिरे।
प्रणष्टा ज्योतिषां भाश्च सह सूर्येण भारत॥ १६॥
 
 
अनुवाद
हे भारत! सम्पूर्ण जगत् अंधकार से आच्छादित हो गया, इसलिए प्रकाशित नहीं हो सका। सूर्य के साथ-साथ ग्रहों और नक्षत्रों का प्रकाश भी लुप्त हो गया (अदृश्य हो गया)॥16॥
 
The entire world was covered in darkness and hence could not be illuminated. O Bharata! The light of the planets and stars vanished (became invisible) along with the Sun.॥ 16॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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