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श्लोक 13.172.3  |
ते पूज्यास्ते नमस्कार्या वर्तेथास्तेषु पुत्रवत्।
ते हि लोकानिमान् सर्वान् धारयन्ति मनीषिण:॥ ३॥ |
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अनुवाद |
अतः ब्राह्मणों का पूजन करो। ब्राह्मणों को नमस्कार करो। उनके साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा सुयोग्य पुत्र अपने पिता के साथ करता है; क्योंकि बुद्धिमान ब्राह्मण इन सब लोकों को धारण करते हैं। ॥3॥ |
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Therefore, worship the Brahmins. Salute the Brahmins. Behave with them in the same manner as a worthy son behaves with his father; because wise Brahmins hold on to all these worlds. ॥ 3॥ |
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