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श्लोक 13.172.2  |
भीष्म उवाच
ब्राह्मणानां परिभव: सादयेदपि देवता:।
ब्राह्मणांस्तु नमस्कृत्य युधिष्ठिर न रिष्यते॥ २॥ |
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अनुवाद |
भीष्म ने कहा- युधिष्ठिर! ब्राह्मणों का अपमान करने से देवताओं को भी पीड़ा हो सकती है। किन्तु यदि ब्राह्मणों का नम्रतापूर्वक अभिवादन और व्यवहार किया जाए, तो कोई हानि नहीं होती। |
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Bhishma said- Yudhishthira! Insulting Brahmins can cause pain to even the gods. But if Brahmins are greeted and treated with humility, then no harm is caused. |
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