श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 16: शिव और पार्वतीका श्रीकृष्णको वरदान और उपमन्युके द्वारा महादेवजीकी महिमा  »  श्लोक 3-4
 
 
श्लोक  13.16.3-4 
एवमस्त्विति तद्वाक्यं मयोक्त: प्राह शङ्कर:।
ततो मां जगतो माता धारिणी सर्वपावनी॥ ३॥
उवाचोमा प्रणिहिता शर्वाणी तपसां निधि:।
दत्तो भगवता पुत्र: साम्बो नाम तवानघ॥ ४॥
 
 
अनुवाद
मेरे ऐसा कहने पर भगवान शंकर ने कहा, 'एवमस्तु - ऐसा ही हो।' तब सर्वशुद्ध तपोनिधि रुद्र की पत्नी जगदम्बा उमादेवी ने, जो सबकी पालनहार हैं, एकाग्रचित्त होकर कहा - 'पापरहित श्यामसुन्दर! भगवान ने आपको साम्ब नामक पुत्र दिया है।'
 
When I said this, Lord Shankar said, 'Evamastu - let it be so.' Then the all-pure Taponidhi Rudra's wife Jagdamba Umadevi, who is the sustainer of everyone, said with concentration - 'Sinless Shyamsundar! God has given you a son named Samb. 3-4॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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