श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 16: शिव और पार्वतीका श्रीकृष्णको वरदान और उपमन्युके द्वारा महादेवजीकी महिमा  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  13.16.11 
उपमन्युरुवाच
नास्ति शर्वसमो देवो नास्ति शर्वसमा गति:।
नास्ति शर्वसमो दाने नास्ति शर्वसमो रणे॥ ११॥
 
 
अनुवाद
उपमन्यु ने कहा - महादेवजी के समान कोई देवता नहीं है। महादेवजी के समान कोई शक्ति नहीं है। दान में शिवजी की बराबरी करने वाला कोई नहीं है और युद्ध में भगवान शंकर के समान कोई दूसरा योद्धा नहीं है।
 
Upmanyu said – There is no god like Mahadevji. There is no power like Mahadevji. There is no one who can match Shivaji in charity and there is no other warrior like Lord Shankar in war.
 
इति श्रीमहाभारते अनुशासनपर्वणि दानधर्मपर्वणि मेघवाहनपर्वाख्याने पञ्चदशोऽध्याय:॥ १५॥
इस प्रकार श्रीमहाभारत अनुशासनपर्वके अन्तर्गत दानधर्मपर्वमें मेघवाहन (इन्द्ररूपधारी महादेव)-की महिमाके प्रतिपादक पर्वकी कथामें पंद्रहवाँ अध्याय पूरा हुआ॥ १५॥

 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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