श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  13.15.9 
एष विद्वान् गुणश्रेष्ठो विष्णु: परमदुर्जय:।
दिव्यचक्षुर्महातेजा वीक्षते योगचक्षुषा॥ ९॥
 
 
अनुवाद
ये भगवान विष्णु सर्वज्ञ, गुणों में श्रेष्ठ, अत्यन्त अजेय, दिव्य नेत्रों वाले और अत्यन्त तेजस्वी हैं। ये सब कुछ योगदृष्टि से देखते हैं। 9॥
 
This Lord Vishnu is omniscient, best in qualities, extremely invincible, has divine eyes and is very brilliant. They see everything from the perspective of yoga. 9॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.