श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  13.15.8 
को हि शक्तो भवं ज्ञातुं मद्विध: परमेश्वरम्।
ऋते नारायणात् पुत्र शङ्खचक्रगदाधरात्॥ ८॥
 
 
अनुवाद
बेटा! शंख, चक्र और गदा धारण करने वाले भगवान नारायण के अतिरिक्त मेरे समान कौन है जो परम भगवान शिव के तत्त्व को जान सके?॥8॥
 
Son! Apart from Lord Narayana who holds the conch, discus and mace, who like me can know the essence of Supreme Lord Shiva?॥ 8॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.