श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 368
 
 
श्लोक  13.15.368 
वासुदेव उवाच
एतच्छ्रुत्वा वचस्तस्य प्रत्यक्षमिव दर्शनम्।
विस्मयं परमं गत्वा अब्रुवं तं महामुनिम्॥ ३६८॥
 
 
अनुवाद
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं - राजन ! उनके वचन सुनकर मुझे ऐसा लगा मानो मैंने भगवान शिव का साक्षात् दर्शन कर लिया हो । तब मैंने बड़े विस्मय से उन महामुनि से पूछा - ॥368॥
 
Lord Krishna says - King! On hearing his words it seemed to me as if I had a direct vision of Lord Shiva. Then in great astonishment I asked that great sage -॥ 368॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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