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श्लोक 13.15.368  |
वासुदेव उवाच
एतच्छ्रुत्वा वचस्तस्य प्रत्यक्षमिव दर्शनम्।
विस्मयं परमं गत्वा अब्रुवं तं महामुनिम्॥ ३६८॥ |
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अनुवाद |
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं - राजन ! उनके वचन सुनकर मुझे ऐसा लगा मानो मैंने भगवान शिव का साक्षात् दर्शन कर लिया हो । तब मैंने बड़े विस्मय से उन महामुनि से पूछा - ॥368॥ |
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Lord Krishna says - King! On hearing his words it seemed to me as if I had a direct vision of Lord Shiva. Then in great astonishment I asked that great sage -॥ 368॥ |
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