श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 338
 
 
श्लोक  13.15.338 
एवमुक्तस्तत: शर्व: सुरैर्ब्रह्मादिभिस्तथा।
आह मां भगवानीश: प्रहसन्निव शंकर:॥ ३३८॥
 
 
अनुवाद
जब ब्रह्माजीसहित समस्त देवताओं ने ऐसा कहा, तब सबके स्वामी और कल्याणकारी भगवान शिवजी ने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा ॥338॥
 
When all the gods including Brahma said this, the Lord of all and the benefactor, Lord Shiva, said to me smilingly. ॥ 338॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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