श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 315
 
 
श्लोक  13.15.315 
नम: स्कन्दविशाखाय ब्रह्मदण्डाय वै नम:।
नमो भवाय शर्वाय विश्वरूपाय वै नम:॥ ३१५॥
 
 
अनुवाद
स्कन्द और विशाखा के रूप में आपको नमस्कार है। ब्रह्मदण्ड के रूप में आपको नमस्कार है। भव (सृष्टिकर्ता) और शर्व (संहारक) के रूप में आपको नमस्कार है। उन विश्वरूप प्रभु को नमस्कार है ॥315॥
 
Salutations to You in the form of Skanda and Vishakha. Salutations to You in the form of Brahmadanda. Salutations to You in the form of Bhava (creator) and Sharva (destroyer). Salutations to the Lord who has the form of the universe. ॥ 315॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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