श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 293
 
 
श्लोक  13.15.293 
नमोऽस्तूच्छ्रितच्छत्राय किरीटवरधारिणे।
अर्धहारार्धकेयूर अर्धकुण्डलकर्णिने॥ २९३॥
 
 
अनुवाद
आपके सिर पर ऊँचा छत्र है। आप सुन्दर मुकुट धारण करते हैं। अर्धनारीश्वर रूप में आपके आधे शरीर में हार, आधे में जटा और आधे में कुण्डल है। आपको नमस्कार है॥ 293॥
 
You have a high umbrella on your head. You wear a beautiful crown. In the form of Ardhanarishwar, you have a necklace on half of your body, a lock of hair on the other half and an earring on the other half. Salutations to you.॥ 293॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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