श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 291
 
 
श्लोक  13.15.291 
शुक्लभस्मावलिप्ताय शुक्लकर्मरताय च।
नमोऽस्तु रक्तवर्णाय रक्ताम्बरधराय च॥ २९१॥
 
 
अनुवाद
आप अपने सम्पूर्ण शरीर को श्वेत भस्म से ढकते हैं। आप शुद्ध कर्मों में तत्पर रहते हैं। कभी-कभी आपका रंग लाल हो जाता है और आप लाल वस्त्र धारण करते हैं। आपको नमस्कार है॥291॥
 
You cover all your body parts with white ash. You are devoted to pure deeds. Sometimes you become red in colour and wear red clothes. Salutations to you.॥ 291॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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