श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 289
 
 
श्लोक  13.15.289 
पिनाकपाणये नित्यं शङ्खशूलधराय च।
नमस्ते कृष्णवासाय कृष्णकुञ्चितमूर्धजे॥ २८९॥
 
 
अनुवाद
आपके हाथ में पिनाक सुशोभित है। आप सदैव शंख और त्रिशूल धारण करते हैं। आपके वस्त्र काले हैं और सिर पर काले घुंघराले बाल हैं। आपको नमस्कार है। 289।
 
Pinaka looks beautiful in your hand. You always carry a conch and a trident. Your clothes are black and you wear black curly hair on your head. Salutations to you. 289.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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