श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 248-249h
 
 
श्लोक  13.15.248-249h 
मुहूर्तमिव तत् तेजो व्याप्य सर्वा दिशो दश॥ २४८॥
प्रशान्तं दिक्षु सर्वासु देवदेवस्य मायया।
 
 
अनुवाद
क्षण भर में ही वह प्रकाश सम्पूर्ण दिशाओं में फैल गया और देवाधिदेव महादेवजी की माया से सर्वत्र शान्त हो गया ॥248 1/2॥
 
Within a moment, that light spread in all directions and calmed down everywhere due to the illusion of Devadhidev Mahadevji. 248 1/2॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.