श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 221
 
 
श्लोक  13.15.221 
कस्मादोषधिसम्पत्ति: को वा धारयते वसु।
प्रकामं क्रीडते को वा त्रैलोक्ये सचराचरे॥ २२१॥
 
 
अनुवाद
औषधियाँ, कृषि और फसलें किससे उत्पन्न होती हैं ? धन का पालन कौन करता है ? तीनों लोकों में समस्त जीव-जन्तुओं के साथ अपनी इच्छानुसार कौन क्रीड़ा करता है ?॥ 221॥
 
From whom do medicines, agriculture and crops grow? Who sustains wealth? Who plays with all living and non-living creatures in the three worlds as per his will?॥ 221॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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