श्री महाभारत » पर्व 13: अनुशासन पर्व » अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन » श्लोक 201 |
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| | श्लोक 13.15.201  | अग्निरापोऽनिल: पृथ्वी खं बुद्धिश्च मनो महान्।
स्रष्टा चैषां भवेद् योऽन्यो ब्रूहि क: परमेश्वरात्॥ २०१॥ | | | अनुवाद | देवराज! अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार - इन सबका रचयिता परमेश्वर के अतिरिक्त और कौन है? मुझे बताइए। | | Devraj! Who is the creator of fire, water, air, earth, sky, mind, intellect and ego - other than the Supreme Lord? Tell me. |
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