श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 192
 
 
श्लोक  13.15.192 
शक्र उवाच
क: पुनर्भवने हेतुरीशे कारणकारणे।
येन शर्वादृतेऽन्यस्मात् प्रसादं नाभिकाङ्क्षसि॥ १९२॥
 
 
अनुवाद
इन्द्र ने पूछा- ब्रह्मन्! जगदीश्वर शिव के अस्तित्व का क्या कारण है, जिसके कारण आप शिव के अतिरिक्त अन्य किसी देवता का आशीर्वाद स्वीकार नहीं करना चाहते? 192॥
 
Indra asked – Brahman! What is the reason for the existence of Jagdishwar Shiva, due to which you do not want to accept the blessings of any god other than Shiva? 192॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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