श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 175
 
 
श्लोक  13.15.175 
पाण्डुरेणातपत्रेण ध्रियमाणेन मूर्धनि।
सेव्यमानोऽप्सरोभिश्च दिव्यगन्धर्वनादितै:॥ १७५॥
 
 
अनुवाद
उनके सिर पर श्वेत छत्र धराया हुआ था। अप्सराएँ उनकी सेवा कर रही थीं और दिव्य गंधर्वों की मधुर संगीत ध्वनि सर्वत्र गूँज रही थी।
 
A white umbrella was held over his head. Apsaras were serving him and the beautiful sound of music of the divine Gandharvas was resonating everywhere. 175.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.