श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 131
 
 
श्लोक  13.15.131 
तुष्यते वा कथं शर्वो रूपं तस्य च कीदृशम्।
कथं ज्ञेय: प्रसन्नो वा दर्शयेज्जननी मम॥ १३१॥
 
 
अनुवाद
हे माता! मुझे बताइए कि भगवान शिव का स्वरूप कैसा है? वे किस प्रकार प्रसन्न हो सकते हैं? मैं उन्हें कैसे जान सकता हूँ अथवा वे किस प्रकार प्रसन्न होकर मेरे समक्ष प्रकट हो सकते हैं?॥131॥
 
My mother! Tell me what is the form of Lord Shiva? How can he be pleased? How can I know him or how can he become pleased and appear before me?'॥ 131॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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