श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 15: भीष्मजीकी आज्ञासे भगवान‍् श्रीकृष्णका युधिष्ठिरसे महादेवजीके माहात्म्यकी कथामें उपमन्युद्वारा महादेवजीकी स्तुति-प्रार्थना, उनके दर्शन और वरदान पानेका तथा अपनेको दर्शन प्राप्त होनेका कथन  »  श्लोक 108-109h
 
 
श्लोक  13.15.108-109h 
मयापि च यथा दृष्टो देवदेव: पुरा विभो॥ १०८॥
साक्षात् पशुपतिस्तात तच्चापि शृणु माधव।
 
 
अनुवाद
हे प्रभु! तात माधव! पूर्वकाल में मैंने किस प्रकार देवाधिदेव पशुपति का साक्षात् दर्शन किया था, उसकी कथा सुनिए। 108 1/2॥
 
Lord! Tat Madhav! Listen to the story of how I had personally seen Devadhidev Pashupati in the past. 108 1/2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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