श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 130: श्राद्धके विषयमें देवदूत और पितरोंका, पापोंसे छूटनेके विषयमें महर्षि विद्युत्प्रभ और इन्द्रका, धर्मके विषयमें इन्द्र और बृहस्पतिका तथा वृषोत्सर्ग आदिके विषयमें देवताओं, ऋषियों और पितरोंका संवाद  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  13.130.51 
ततो विद्युत्प्रभो वाक्यमभ्यभाषत वासवम्।
अयं सूक्ष्मतरो धर्मस्तं निबोध शतक्रतो॥ ५१॥
 
 
अनुवाद
तत्पश्चात् विद्युत्प्रभा ने इन्द्र से कहा- 'शतकरातो! मैं तुमसे यह सूक्ष्म धर्म कह रहा हूँ। इसे ध्यानपूर्वक सुनो।'
 
Thereafter Vidyutprabha said to Indra- 'Shatakrato! I am telling you this subtle Dharma. Listen to it carefully.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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