श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 130: श्राद्धके विषयमें देवदूत और पितरोंका, पापोंसे छूटनेके विषयमें महर्षि विद्युत्प्रभ और इन्द्रका, धर्मके विषयमें इन्द्र और बृहस्पतिका तथा वृषोत्सर्ग आदिके विषयमें देवताओं, ऋषियों और पितरोंका संवाद  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  13.130.23 
पितर ऊचु:
स्वागतं तेऽस्तु भद्रं ते श्रूयतां खेचरोत्तम।
गूढार्थ: परम: प्रश्नो भवता समुदीरित:॥ २३॥
 
 
अनुवाद
पितरों ने कहा, "हे देवों में श्रेष्ठ देवदूत! आपका स्वागत है। आपका कल्याण हो। आपने बहुत अच्छा और गहन अर्थ वाला प्रश्न पूछा है। इसका उत्तर सुनिए।"
 
The Pitris said, "O best angel amongst the celestial beings! You are welcome. May you be blessed. You have asked a very good question with a deep meaning. Listen to its answer.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.