श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 130: श्राद्धके विषयमें देवदूत और पितरोंका, पापोंसे छूटनेके विषयमें महर्षि विद्युत्प्रभ और इन्द्रका, धर्मके विषयमें इन्द्र और बृहस्पतिका तथा वृषोत्सर्ग आदिके विषयमें देवताओं, ऋषियों और पितरोंका संवाद  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  13.130.22 
श्रद्दधानेन दूतेन भाषितं धर्मसंहितम्।
पूर्वस्थास्त्रिदशा: सर्वे पितर: पूज्य खेचरम्॥ २२॥
 
 
अनुवाद
भक्त देवदूत के ऐसा धर्ममय भाषण देने पर पूर्व दिशा में स्थित समस्त देवता और पितरों ने आकाश में भ्रमण करने वाले उस पुरुष की स्तुति करते हुए कहा - ॥22॥
 
After the devotee angel gave such a religious speech, all the gods and ancestors situated in the east praised that man travelling in the sky and said - ॥22॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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