श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 121: मांस न खानेसे लाभ और अहिंसाधर्मकी प्रशंसा  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  13.121.27 
येन येन शरीरेण यद् यत् कर्म करोति य:।
तेन तेन शरीरेण तत्तत् फलमुपाश्नुते॥ २७॥
 
 
अनुवाद
जो जिस शरीर से जो कर्म करता है, वह उसी शरीर से उस कर्म का फल भी भोगता है ॥27॥
 
Whoever performs whatever action with whichever body, he enjoys the fruits of that action with that body too. ॥27॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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