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श्लोक 13.121.22  |
नात्मनोऽस्ति प्रियतर: पृथिवीमनुसृत्य ह।
तस्मात् प्राणिषु सर्वेषु दयावानात्मवान् भवेत्॥ २२॥ |
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अनुवाद |
इस पृथ्वी पर हमें अपनी आत्मा से अधिक प्रिय कुछ भी नहीं है। इसलिए सभी प्राणियों पर दया करो और सभी को अपनी आत्मा के समान समझो ॥22॥ |
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There is nothing dearer to us on this earth than our own soul. Therefore, be kind to all creatures and consider everyone as your own soul. ॥22॥ |
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