श्री महाभारत » पर्व 13: अनुशासन पर्व » अध्याय 121: मांस न खानेसे लाभ और अहिंसाधर्मकी प्रशंसा » श्लोक 14 |
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| | श्लोक 13.121.14  | क्षतं च स्खलितं चैव पतितं कृष्टमाहतम्।
सर्वभूतानि रक्षन्ति समेषु विषमेषु च॥ १४॥ | | | अनुवाद | चाहे वह घायल हो, लड़खड़ा रहा हो, गिरा हुआ हो, जल के बहाव में बह रहा हो, घायल हो, अथवा किसी भी अच्छी या बुरी अवस्था में पड़ा हो, सभी प्राणी उसकी रक्षा करते हैं ॥14॥ | | Whether he is wounded, stumbling, fallen, being carried away by the flow of water, injured, or lying in any good or bad condition, all creatures protect him. ॥14॥ |
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