श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 120: मद्य और मांसके भक्षणमें महान् दोष, उनके त्यागकी महिमा एवं त्यागमें परम लाभका प्रतिपादन  »  श्लोक 74
 
 
श्लोक  13.120.74 
आपन्नश्चापदो मुच्येद् बद्धो मुच्येत बन्धनात्।
मुच्येत्तथाऽऽतुरो रोगाद् दु:खान्मुच्येत दु:खित:॥ ७४॥
 
 
अनुवाद
इतना ही नहीं, इसके सुनने या पढ़ने से संकटग्रस्त व्यक्ति संकट से, बंधनग्रस्त व्यक्ति बंधन से, रोगी व्यक्ति रोग से और दुखी व्यक्ति शोक से छूट जाता है ॥74॥
 
Not only this, by listening to or reading it, one who is in trouble is relieved from trouble, one who is in bondage is relieved from bondage, a sick person is relieved from disease and a sad person is relieved from sorrow. ॥ 74॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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