वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री महाभारत
»
पर्व 13: अनुशासन पर्व
»
अध्याय 120: मद्य और मांसके भक्षणमें महान् दोष, उनके त्यागकी महिमा एवं त्यागमें परम लाभका प्रतिपादन
»
श्लोक 70
श्लोक
13.120.70
मधु मांसं च ये नित्यं वर्जयन्तीह धार्मिका:।
जन्मप्रभृति मद्यं च सर्वे ते मुनय: स्मृता:॥ ७०॥
अनुवाद
जो पुण्यात्मा पुरुष जन्म से ही इस संसार में मधु, मदिरा और मांस का सदा के लिए त्याग कर देते हैं, वे सब ऋषि माने जाते हैं।
The virtuous men who from their very birth give up honey, wine and meat forever in this world are all considered as sages.
✨ ai-generated
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.