श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 120: मद्य और मांसके भक्षणमें महान् दोष, उनके त्यागकी महिमा एवं त्यागमें परम लाभका प्रतिपादन  »  श्लोक 56
 
 
श्लोक  13.120.56 
अथवा मासमेकं वै सर्वमांसान्यभक्षयन्।
अतीत्य सर्वदु:खानि सुखं जीवेन्निरामय:॥ ५६॥
 
 
अनुवाद
अथवा जो मनुष्य एक महीने तक सब प्रकार के मांस का त्याग कर देता है, वह सब दुःखों से मुक्त होकर सुखी एवं स्वस्थ जीवन व्यतीत करता है ॥ 56॥
 
Or a person who gives up all kinds of meat for a month becomes free from all sorrows and lives a happy and healthy life. ॥ 56॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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