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श्लोक 13.120.53  |
यस्तु वर्षशतं पूर्णं तपस्तप्येत् सुदारुणम्।
यश्चैव वर्जयेन्मांसं सममेतन्मतं मम॥ ५३॥ |
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अनुवाद |
जो मनुष्य सौ वर्षों तक घोर तप करता है और जो केवल मांस का त्याग करता है - मेरी दृष्टि में दोनों एक समान हैं ॥ 53॥ |
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A man who performs severe austerities for a hundred years and one who simply abandons meat - both are the same in my eyes. ॥ 53॥ |
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