श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 120: मद्य और मांसके भक्षणमें महान् दोष, उनके त्यागकी महिमा एवं त्यागमें परम लाभका प्रतिपादन  »  श्लोक 49
 
 
श्लोक  13.120.49 
श्रूयते हि पुरा कल्पे नृणां व्रीहिमय: पशु:।
येनायजन्त यज्वान: पुण्यलोकपरायणा:॥ ४९॥
 
 
अनुवाद
ऐसा सुना गया है कि पूर्वकाल में मनुष्य यज्ञों में अभक्ष्य पशुओं को ही पुरोडाश आदि के रूप में प्रयुक्त किया जाता था। पुण्यलोक प्राप्ति के साधन में लगे हुए यज्ञपुरुष उसी अन्न से यज्ञ करते थे। 49॥
 
It has been heard that in the past, only non-food animals were used as Purodash etc. in human sacrifices. The yagya men who were engaged in the means of attaining the sacred world used to perform yagya with that food only. 49॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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