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श्री महाभारत
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पर्व 13: अनुशासन पर्व
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अध्याय 120: मद्य और मांसके भक्षणमें महान् दोष, उनके त्यागकी महिमा एवं त्यागमें परम लाभका प्रतिपादन
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श्लोक 44
श्लोक
13.120.44
भक्षयित्वापि यो मांसं पश्चादपि निवर्तते।
तस्यापि सुमहान् धर्मो य: पापाद् विनिवर्तते॥ ४४॥
अनुवाद
जो पहले मांस खाता है और फिर उससे विरत रहता है, वह भी बहुत बड़ा पुण्य प्राप्त करता है, क्योंकि वह पाप से विरत रहता है ॥44॥
He who first eats meat and then abstains from it also attains a very great virtue, because he has abstained from sin. ॥ 44॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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