श्री महाभारत » पर्व 13: अनुशासन पर्व » अध्याय 120: मद्य और मांसके भक्षणमें महान् दोष, उनके त्यागकी महिमा एवं त्यागमें परम लाभका प्रतिपादन » श्लोक 38 |
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| | श्लोक 13.120.38  | धनेन क्रयिको हन्ति खादकश्चोपभोगत:।
घातको वधबन्धाभ्यामित्येष त्रिविधो वध:॥ ३८॥ | | | अनुवाद | खरीदने वाला धन के बल पर पशुओं पर हिंसा करता है, खाने वाला उपभोग के बल पर पशुओं पर हिंसा करता है और मारने वाला वध और बाँधकर पशुओं पर हिंसा करता है। इस प्रकार, पशुओं की हत्या तीन प्रकार से की जाती है। | | The buyer commits violence against animals through money, the eater commits violence against animals through consumption and the killer commits violence against animals through slaughter and binding. Thus, animals are killed in three ways. |
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