श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 120: मद्य और मांसके भक्षणमें महान् दोष, उनके त्यागकी महिमा एवं त्यागमें परम लाभका प्रतिपादन  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  13.120.37 
यो हि खादति मांसानि प्राणिनां जीवितैषिणाम्।
हतानां वा मृतानां वा यथा हन्ता तथैव स:॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
जो जीवित रहने की इच्छा रखने वाले प्राणियों को मारता है अथवा उनके मर जाने के बाद उनका मांस खाता है, वह उन प्राणियों का हत्यारा माना जाता है, भले ही वह उन्हें न मारता हो ॥37॥
 
He who kills living creatures who wish to survive or eats their flesh after they have died is considered to be the killer of those creatures even if he does not kill them. ॥ 37॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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