श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 120: मद्य और मांसके भक्षणमें महान् दोष, उनके त्यागकी महिमा एवं त्यागमें परम लाभका प्रतिपादन  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  13.120.36 
इदं तु खलु कौन्तेय श्रुतमासीत् पुरा मया।
मार्कण्डेयस्य वदतो ये दोषा मांसभक्षणे॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
हे कुन्तीपुत्र! पूर्वकाल में मार्कण्डेयजी से मैंने यह बात सुनी थी, जो मांसभक्षण के दोषों का वर्णन कर रहे थे -॥36॥
 
O son of Kunti! I have heard this in the past from Markandeya, who was explaining the defects of eating meat -॥ 36॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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