श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 120: मद्य और मांसके भक्षणमें महान् दोष, उनके त्यागकी महिमा एवं त्यागमें परम लाभका प्रतिपादन  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  13.120.22 
तस्माद् विद्धि महाराज मांसस्य परिवर्जनम्।
धर्मस्यायतनं श्रेष्ठं स्वर्गस्य च सुखस्य च॥ २२॥
 
 
अनुवाद
अतः महाराज! आपको यह जानना चाहिए कि मांस का त्याग ही धर्म, स्वर्ग और सुख का सर्वोत्तम आधार है।
 
Therefore, Maharaj! You should know that the renunciation of meat is the best basis for religion, heaven and happiness. 22.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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