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श्री महाभारत
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पर्व 13: अनुशासन पर्व
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अध्याय 120: मद्य और मांसके भक्षणमें महान् दोष, उनके त्यागकी महिमा एवं त्यागमें परम लाभका प्रतिपादन
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श्लोक 10
श्लोक
13.120.10
न भक्षयति यो मांसं न च हन्यान्न घातयेत्।
तन्मित्रं सर्वभूतानां मनु: स्वायम्भुवोऽब्रवीत्॥ १०॥
अनुवाद
स्वायंभुव मनु कहते हैं कि जो व्यक्ति न तो मांस खाता है, न प्राणियों को मारता है और न ही दूसरों के प्रति हिंसा करता है, वह सभी जीवों का मित्र है ॥10॥
Svayambhuva Manu says that a person who neither eats meat nor kills animals nor causes violence against others is a friend of all living beings. ॥10॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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