श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 12: कृतघ्नकी गति और प्रायश्चित्तका वर्णन तथा स्त्री-पुरुषके संयोगमें स्त्रीको ही अधिक सुख होनेके सम्बन्धमें भंगास्वनका उपाख्यान  »  श्लोक 52
 
 
श्लोक  13.12.52 
स्त्रिया: पुरुषसंयोगे प्रीतिरभ्यधिका सदा।
एतस्मात् कारणाच्छक्र स्त्रीत्वमेव वृणोम्यहम्॥ ५२॥
 
 
अनुवाद
देवेन्द्र! जब स्त्री पुरुष के साथ समागम करती है, तब स्त्री को पुरुष की अपेक्षा अधिक सुख प्राप्त होता है, इसीलिए मैं स्त्रीत्व का वरण करता हूँ।॥52॥
 
Devendra! When a woman has intercourse with a man, the woman receives more sensual pleasure than the man, that is why I choose womanhood.'॥ 52॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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