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श्लोक 13.12.52  |
स्त्रिया: पुरुषसंयोगे प्रीतिरभ्यधिका सदा।
एतस्मात् कारणाच्छक्र स्त्रीत्वमेव वृणोम्यहम्॥ ५२॥ |
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अनुवाद |
देवेन्द्र! जब स्त्री पुरुष के साथ समागम करती है, तब स्त्री को पुरुष की अपेक्षा अधिक सुख प्राप्त होता है, इसीलिए मैं स्त्रीत्व का वरण करता हूँ।॥52॥ |
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Devendra! When a woman has intercourse with a man, the woman receives more sensual pleasure than the man, that is why I choose womanhood.'॥ 52॥ |
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