श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 12: कृतघ्नकी गति और प्रायश्चित्तका वर्णन तथा स्त्री-पुरुषके संयोगमें स्त्रीको ही अधिक सुख होनेके सम्बन्धमें भंगास्वनका उपाख्यान  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  13.12.51 
पुरुषत्वं कथं त्यक्त्वा स्त्रीत्वं चोदयसे विभो।
एवमुक्त: प्रत्युवाच स्त्रीभूतो राजसत्तम:॥ ५१॥
 
 
अनुवाद
हे प्रभु! आप पुरुषत्व त्यागकर स्त्री क्यों बनना चाहते हैं?’ इन्द्र के ऐसा पूछने पर स्त्रीरूपी महामानव ने इस प्रकार उत्तर दिया - 51॥
 
Lord! Why do you wish to give up manhood and become a woman?' When Indra asked this, the great human being in the form of a woman replied in this way - 51॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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