श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 12: कृतघ्नकी गति और प्रायश्चित्तका वर्णन तथा स्त्री-पुरुषके संयोगमें स्त्रीको ही अधिक सुख होनेके सम्बन्धमें भंगास्वनका उपाख्यान  »  श्लोक 47
 
 
श्लोक  13.12.47 
स्त्र्युवाच
स्त्रियास्त्वभ्यधिक: स्नेहो न तथा पुरुषस्य वै।
तस्मात् ते शक्र जीवन्तु ये जाता: स्त्रीकृतस्य वै॥ ४७॥
 
 
अनुवाद
स्त्री बोली - इन्द्र! स्त्री अपने पुत्रों पर अधिक स्नेह रखती है, पुरुष वैसा स्नेह नहीं रखता। अतः हे इन्द्र! जो लोग स्त्री रूप में आकर मुझसे उत्पन्न हुए हैं, वे जीवित हो जाएँ। 47.
 
The woman said - Indra! A woman has more affection for her sons, a man does not have that kind of affection. Therefore, Indra! Those who are born to me after coming in the form of a woman, may they become alive. 47.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.