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श्लोक 13.12.44  |
तापसी तु तत: शक्रमुवाच प्रयताञ्जलि:।
स्त्रीभूतस्य हि ये पुत्रास्ते मे जीवन्तु वासव॥ ४४॥ |
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अनुवाद |
तब तापसी ने हाथ जोड़कर इन्द्र से कहा, 'देवेन्द्र! स्त्री बनने के बाद मेरे जो पुत्र उत्पन्न होंगे, वे जीवित रहें।' |
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Then Tapasee folded her hands and said to Indra, 'Devendra! After becoming a woman, may the sons born to me be alive.' |
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