श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 12: कृतघ्नकी गति और प्रायश्चित्तका वर्णन तथा स्त्री-पुरुषके संयोगमें स्त्रीको ही अधिक सुख होनेके सम्बन्धमें भंगास्वनका उपाख्यान  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  13.12.39 
इन्द्रस्तां दु:खितां दृष्ट्वा अब्रवीत् परुषं वच:।
पुरा सुदु:सहं भद्रे मम दु:खं त्वया कृतम्॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
उसे दुःखी देखकर इन्द्र ने कठोर शब्दों में कहा - 'हे प्रिये! जब तुम पहले राजा थे, तब तुमने भी मुझे असह्य कष्ट दिया था।' 39
 
Seeing her sad, Indra said in harsh words - 'O dear! When you were the king earlier, you too had given me unbearable pain.' 39
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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