श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 12: कृतघ्नकी गति और प्रायश्चित्तका वर्णन तथा स्त्री-पुरुषके संयोगमें स्त्रीको ही अधिक सुख होनेके सम्बन्धमें भंगास्वनका उपाख्यान  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  13.12.37 
स्त्रियाश्च मे पुत्रशतं तापसेन महात्मना।
आश्रमे जनितं ब्रह्मन् नीतं तन्नगरं मया॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
महामना तापस ने स्त्री रूप धारण करके इस आश्रम में मुझसे सौ पुत्रों को जन्म दिया। ब्रह्मन्! मैंने उन सभी पुत्रों को नगर में ले जाकर राज्य पर स्थापित कर दिया। 37॥
 
‘After coming in the form of a woman, Mahamana Tapas gave birth to a hundred sons from me in this ashram. Brahman! I took all those sons to the city and established them on the kingdom. 37॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.