श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 12: कृतघ्नकी गति और प्रायश्चित्तका वर्णन तथा स्त्री-पुरुषके संयोगमें स्त्रीको ही अधिक सुख होनेके सम्बन्धमें भंगास्वनका उपाख्यान  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  13.12.32 
तच्छ्रुत्वा तापसी चापि संतप्ता प्ररुरोद ह।
ब्राह्मणच्छद्मनाभ्येत्य तामिन्द्रोऽथान्वपृच्छत॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
यह समाचार सुनकर तपसी अत्यन्त दुःखी हुई। वह फूट-फूटकर रोने लगी। उसी समय इन्द्र ब्राह्मण का वेश धारण करके उसके पास आये और पूछने लगे-॥32॥
 
On hearing this news, Tapasi was very sad. She started crying profusely. At that time Indra came to her in the guise of a Brahmin and started asking -॥ 32॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.