श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 12: कृतघ्नकी गति और प्रायश्चित्तका वर्णन तथा स्त्री-पुरुषके संयोगमें स्त्रीको ही अधिक सुख होनेके सम्बन्धमें भंगास्वनका उपाख्यान  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  13.12.31 
युष्माकं पैतृकं राज्यं भुज्यते तापसात्मजै:।
इन्द्रेण भेदितास्ते तु युद्धेऽन्योन्यमपातयन्॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
तुम लोगों का पैतृक राज्य तो तपस्वी पुत्रों द्वारा भोगा जा रहा है।’ इस प्रकार जब इन्द्र ने उनमें फूट डाल दी, तब वे आपस में लड़ने लगे। युद्ध में एक-दूसरे को मार डाला॥31॥
 
The ancestral kingdom of you people is being enjoyed by the sons of ascetics.' Thus, when Indra created a division among them, they started fighting among themselves. They killed each other in the war.॥ 31॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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